The 5-Second Trick For Shodashi
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ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौः: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ऐ ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं सौः: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं
साहित्याम्भोजभृङ्गी कविकुलविनुता सात्त्विकीं वाग्विभूतिं
काञ्चीवासमनोरम्यां काञ्चीदामविभूषिताम् ।
हर्त्री स्वेनैव धाम्ना पुनरपि विलये कालरूपं दधाना
पद्मरागनिभां वन्दे देवी त्रिपुरसुन्दरीम् ॥४॥
लक्ष्मीशादि-पदैर्युतेन महता मञ्चेन संशोभितं
हस्ताग्रैः शङ्खचक्राद्यखिलजनपरित्राणदक्षायुधानां
देवस्नपन दक्षिण वेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि
रविताक्ष्येन्दुकन्दर्पैः शङ्करानलविष्णुभिः ॥३॥
हस्ते पाश-गदादि-शस्त्र-निचयं दीप्तं वहन्तीभिः
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कालहृल्लोहलोल्लोहकलानाशनकारिणीम् ॥२॥
ब्रह्माण्डादिकटाहान्तं तां वन्दे सिद्धमातृकाम् ॥५॥
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